समझौता

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समाज के बारे मे जो भी कह और लिख दिया जाये वो कम होगा। क्योंकि एक साथ रहने वाले लोग होते तो मनुष्य है, लेकिन मनुष्य मे ऐसा कोई व्यहवार नहीं होता है। जब हमारे पैर मे काटा लगता है तब हमें इसका दर्द समझ मे आता है। अगर हमारे पैर मे काटा ना चुभे तो हम कभी महसूस नहीं कर सकते है।ठीक उसी तरह हमारी इस कहानी के पत्रों मे समाज का और उसके भय का बहुत असर हुआ है।रोमा की सादी हुई लेकिन वह इस शादी से बिलकुल खुश नहीं थी, लेकिन जब घर वालो को यही मंजूर