पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग तीसरा अध्याय नीलू बड़ी खुश थी कि डॉक्टर बनने का उसका सपना साकार होने जा रहा था, उसका मेडिकल कॉलेज में प्रवेश सुनिश्चित हो गया था। मौसी ने मीनाक्षी पर आशीर्वादों की झड़ी लगा दी थी। बार-बार कह रही थी कि मीनू तूने बहिन होकर भी भाई का फ़र्ज़ निभाया है। ऑफिस में भी सब उसे बधाई दे रहे थे और कुछ ऐसे भी थे जो अन्दर-ही-अन्दर जल-भुन कर राख हुए जा रहे थे। वे अपने-अपने क़यास लगा रहे थे कि मैडम ने कौन-सी तुरुप की चाल चली होगी। मैडम अपने काम