जो घर फूंके अपना - 46 - बड़ी कठिन थी डगर एयरपोर्ट की - 2

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जो घर फूंके अपना 46 बड़ी कठिन थी डगर एयरपोर्ट की - 2 पता नहीं मेरा गिडगिडाना सुनकर उन्हें दया आ गई या उन्हें लगा कि वह दूधवाला हमें कुछ ज़्यादा ही परेशान कर रहा था. उन्होंने पहले तो भीड़ लगानेवालों को तेलगु में दांत लगाई, फिर दूधवाले को समझाया “ये लोग दो सौ रुपये दे रहे हैं, तेरा कम से कम सौ प्रतिशत मुनाफ़ा हो रहा है. रुपये पकड़ और चलता बन. ” उनकी बात में असर था. दूधवाले ने हमारे हाथों से नोट झपट लिये और भुनभुनाते हुए कार के सामने धराशायी साइकिल को उठाने लग गया. जैसे