वो भूली दास्तां...

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प्रेम.... ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द पर... अपने आप में न जाने कितने सपने, कितने अरमानों को समेटे हुए रहता है.... मोहित और मुग्धा का कॉलेज में आखिरी साल था। मुग्धा अपने नाम के अनुरूप थीं, चंचल, शोख,जिंदादिल , जिंदगी से भरपूर ....एक झलक में किसी को भी अपना दीवाना बना दे ।उसकी वह कजरारी गोल -गोल सी बड़ी- बड़ी आंखें सबके मन को मोह लेती। मोहित बांका- सजीला नौजवान कॉलेज की न जाने कितनी लड़कियां उस पर मरती थी और कहीं ना कहीं मन ही मन मुग्धा से जलती भी थी कि मोहित जैसा खूबसूरत लड़का