खोटा सिक्का

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‘....ऑटो !‘ बस से उतरकर , कंधे पर लटके बैग को संभालते हुये बस अडडे के सामने , चैराहे पर खड़े ऑटोवाले को मैंने हाथ के इशारे से बुलाया । ऑटोवाला बस से उतरती सवारियों की ओर ही देख रहा था । इशारा पाकर वह चौराहे से यू टर्न लेकर सीधा मेरी ओर आ गया । ड्राइविंग सीट पर बैठे - बैठे , ऑटो की खिड़की से बाहर सिर निकालकर बोला , ‘जी साहब , कहां चलना है ?‘ मैंने उस पर सरसरी नज़र डाली । वह छरहरे बदन का लगभग 25-30 वर्ष का युवक होगा । रंग सांवला था