इसांन या रिश्तों की अहमियत ?

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हम रोज़ की तरह एक दिन शाम को अपनी डायरी लिख रहे थे कि हमें एक मेसैज आया। वह किसी अनजान लड़के का था उसे देख हम सोचने लगे कि " क्या हमें इसका जबाव देना चाहिए? सही होगा ?क्या वो लड़का ठीक होगा?अपने अन्दर चलते द्वंद को शांत कर हमने उसका जबाव दिया। कुछ ही पलो में दुसरा मेसैज आ गया कि "कहा से हो आप" हमने जबाव देते हुए कहा कि "हम दिल्ली से है" और ऐसे बातों का सिलसिला चल पडा़। हमें उन से बातें करना पसंद था और शायद उन्हें भी।