फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 12

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दो दिन बाद आफताब की हालत बहुत बिगड़ गई, मंजेश बहुत परेशान हो गया, उसने बहुत कोशिश की पर आफताब को भी नहीं बचा पाया गया | तीनों दोस्तों को बहुत दुख हुआ क्योंकि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत ही ज्यादा था, जिस वजह से उसकी मुन्नी और पत्नी को भी नहीं बचाया जा सका |अर्पित - “यार आफताब कुछ भी कहो, दिल का अच्छा था” |मोहित - “हां यार यह तो है.. मैंने उसे बहुत मना किया था पर क्या करें वह माना ही नहीं” |मंजेश - “मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है पर शुक्र है जो