आज न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था। चारों तरफ खुशी का माहौल था। लोग न्याय व्यवस्था की तारीफ कर रहे थे। हो भी क्यों ना, आखिर पहली बार महीने भर के अंदर आरोपी को अपराधी घोषित कर फांसी की सज़ा दी गई थी। वहीं परिसर में दो माताएं खड़ीं थी। दोनो की आंखों में आंसू थे। पर इन आसुंओं में अंतर था। एक की आंख में आगे होने वाली घटना को लेकर पीढ़ा और बेचैनी थी। तो वहीं दूसरी की आंखों में पहले हो चुकी घटना की पीढ़ा और जो होने वाला था उसे लेकर शांति खुशी और सन्तोष