श्रीमद्भगतगीता महात्त्म्य सहित (अध्याय-९)

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जय श्रीकृष्ण बंधुवर!आप सभी के सम्मुख श्रीगीताजी के नौवा अध्याय और उसके महात्त्म्य के साथ उपस्थित हूँ। श्री गीताजी की कृपामय शब्दो को पढ़कर, श्रवण कर के, अपने आप को तथा अपने इस जन्म को कृतार्थ करे। श्रीगीताजी और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहे आप सब पर जैसे मुझ पर बनी है।जय श्रीकृष्ण! ?श्रीमद्भगतगीता अध्याय-९?श्रीकृष्ण बोले- हे अर्जुन! तुममे ईर्ष्या नहीं है, इसलिए अतिगुप्त शास्त्रीय ज्ञान और अनुभव तुमसे कहता हूँ, जानकर तुम्हारा अशुभ न होगा। यह ज्ञान सब विघाओं मे श्रेष्ठ तथा सब गोपनीयों में गुप्त एवं परम पवित्र उत्तम प्रत्यक्ष फल