बचपन एक ऐसी चीज होती है, जिसमें हम बड़ो का आशीर्वाद भी लेते है और उनकी डांट भी खाते है। बचपन हमेशा ऐसा ही होना चाहिए। बचपन की तो बात ही अलग होती थी। सब दोस्तो से मिल के खुश होना, गिल्ली डंडा, लुक्का चिप्पी, ये सब खेलना, इन सब का मजा ही कुछ अलग था। और भी थक के घर जाते थे, तो का के हाथ का खाना खाते थे। पर अभी के बचपन में वो बात कहा!अभी का बचपन तो बस मोबाइल में बीत रहा है। जिस उंगलियों से कभी बच्चे गोटियां खेला करते थे, आज वही उंगलियां