महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – उन्नीस मंदिर में दिनभर तरह-तरह की बातें होती रही। शाम को चार बजे पत्रकार वार्ता हुई। बाबाजी की तरफ से विज्ञप्ति अखिल और अनुराधा ने तैयार की थी। एक दो पत्रकार जो ज़्यादा आड़े-तिरछे सवाल कर रहे थे उन्हे निर्मला माई और श्रद्धा माई बहुत देर तक समझाती रही। रात को समाधि स्थल पर कड़ा पहरा था। बाबाजी की स्थायी मंडली के सदस्य अपना बिस्तर लेकर समाधि स्थल पर ही आ गये। थोड़ी देर इधर-उधर की चर्चाएँ होती रही फिर शुरू हो गये किस्से। ‘‘क्यों संतु महाराज तुम्हे सांसाराम वाली निर्मला माई की समाधि याद