जादूगर जंकाल और सोनपरी (5)

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जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 5 आगे बढ़ने पर और ज्यादा गाढ़ा धुंआ दिखने लग गया था। अभी वह दो सौ कदम ही आगे बढ़ा होगा कि उसके घोड़े के पांव थम गये। शिवपाल ने घोड़े के रूकने का कारण जानने के लिए रास्ते पर आगे नजरें गढ़ाई तो डर की वजह से उसे पसीना आ गया, उसके सारे बदन में एक बार भय की लकीर सी फैल गयी। सामने पच्चीस तीस खूंख्वार भेड़िए रास्ता रोके खड़े हुए अपनी लम्बी जीभ लपलपा रहे थे। शिवपाल ने सोचा कि बस अब गयी जान, दोनों ही मारे जायेंगे।