खनकती चूड़ियाँ

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अपने कपड़े उतारकर बिस्तर पर लेट जाओ और हाँ अपनी ये चूड़ियाँ उतार दो। बगल के कमरे में मेरी पत्नी सोयी है उसे बस पैरालाइसिस हुआ है,अभी मरी नहीं है । जी बाबू जी अभी उतार देती हूँ ये चूड़ियाँ और चूड़ियाँ उतारते उतारते अनायास ही काकुली का मन चार साल पीछे अपने विवाह की पहली रात में मोहन द्वारा कही गयी बात को याद करके सुबक उठता है , अरी ये चूड़ियाँ उतार दे , बाहर खाट पर बाबा सोया है , नहीं जी ये तो सुहाग की निशानी है, अम्मा बोलीं थी बिटिया इनको कभी न उतारना, अरी