गोपी गीत । - 2

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।। श्री राधे ।।हमारे प्यारे स्वामी! तुम्हारे चरण , कमल से भी सुकोमल ओर सुन्दर है । जब तुम गौओं को चराने के लिए व्रज से निकलते हो , तब यह सोचकर कि तुम्हारे वे युगल कंकड , तिनके और कुश-कांटे गड जाने से कष्ट पाते होंगे , हमारा मन बैचेन हो जाता है । हमें बडा दुख़ होता है।। १ १ ।। ।। श्री राधे ।।दिन ढलने पर जब तुम वन से घर लौटते हो तो हम देखती है कि