जननम - 2

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जननम अध्याय 2 "हेलो !" वह धीरे से बोला। उडती सी उसने निगाह उस पर डाली फिर असमंजस में उसे देखा। निर्दोष निग़ाहों से उसने देखा। फिर उसने चारों तरफ नजरें घुमाई। जया के ऊपर, फिर दीवार पर, खिड़कियों पर, बाहर दिखाई दे रही पेड़ों पर सब पर उसकी निगाहें चलती रही। वाह क्या आँखें हैं ! सफेद समुद्र में काले नीले रंग की मणि जैसे. ‌‌‌…. इसे तमिल मालूम होगा ऐसा सोच उसने उससे पूछा। "आप कैसी हैं ?" उसका असमंजस ज्यादा हो गया ऐसा लगा। "क्या ?" "आप अब कैसी हैं ?" उसने उसे संशय से देखा। अजीब