खाली हाथ नहीं लौटते...

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खाली हाथ नहीं जाते... . . . . . "काका....???? ओ काका...!!! क्या लाये हो मेरे लिए....!!!" उसने काका के गाल पर उंगली फेरते हुए कहा। "अरे गुड्डे तेरे लिए, ये तो सबके लिए है...!!!!! फिर भी ये देख ये अंगूर तेरे लिए लाया हूँ....!!!" उसके काका ने कहा। फिर उसके काका ने बाल्टी से धुले हुए अंगूर का एक गुच्छा साफ कपड़े में पोछा और एक प्लेट में रख उसे दिया। गुड्डू खुशी-खुशी प्लेट लिए अपने काका की गोद में बैठ गया और चाव से अंगूर खाने लग गया। "अरे सीतराम...!!! काहे इतना खर्चा किये हो तुम...!!! जब एकहई