भाभी काश तुम पुरुष हुई होतीं

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माँ ने फ़ोन पर जब घबराई आवाज़ में बताया कि बेटा.. अपरा हम सबको छोड़ कर चली गई तो मेरे मुँह से बस इतना निकला कि माँ वो गई नही.. उसे मार डाला हम सबने मिलकर,हमारी खोखली मान्यताओं ने ..जीवन से भरी लड़की के जीवन से रंग छीन लिये और उसे उदासी के दलदल में अकेले धँसते जाने दिया...माँ वो हर पल ख़ुश-ख़ुश रहने वाली लड़की के पास दुख सहेजने के लिये कोई मन बाकी कहाँ था और फोन रखकर जड़ हो गई।मेरे अंदर दुख से अधिक गुस्सा भरा था।वहीं बैठ गई डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर और अपरा भाभी