और कुहासा छँट गया.....

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.... ...... पापा....अब मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगी....!!!!पापा वो इंसान नहीं जल्लाद है....उसका परिवार भी उसके साथ है हर कदम.....उन्हें बहू नहीं सिर्फ नौकरानी चाहिए.....देखिये पापा....कितना मारा है.....अपनी पीठ पर उभरी हुई लकीरें दिखाती हुई तपस्या बोली.... हाए राम.....कैसे मारा है मेरी मासूम सी बच्ची को....अभी तो इसके हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी हैं.... बेटी के जख्मो को देख बिलखते हुए रमा जी ने कहा.... क्या ग़लती थी माँ मेरी जानती हो?????मैंने काम वाली बाई को दो रोटी ज्यादा दे दी थी....उसकी मासूम सी बच्ची के लिए.....और मेरी जेठानी ने देख लिया रोटी देते