जय श्रीकृष्ण बन्धुजन!भगवान श्रीकृष्ण के अशीम अनुकम्पा से आज श्री गीताजी के सातवें अध्याय को लेकर उपस्थित हूँ। आप सभी बन्धुजन इस अध्याय के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने आप को तथा इसको पढ़के अपनो को सुनाकर सभी का जीवन कृतार्थ करें।जय श्रीकृष्ण! ?श्रीमद्भगवतगीता अध्याय-७?श्री कृष्ण जी बोले- है पार्थ! मुझमें मन लगा करके मेरे आश्रय होकर योगाभ्यास करते हुए मेरे स्वरूप का संसय रहित पूर्ण ज्ञान होगा सो सुनो। विज्ञान के रहित वह पूर्ण ज्ञान में तुम्हें सुनाता हूँ, जिसके जानने से तुमको इस लोक में और कुछ जानना शेष न रहेगा। सहस्त्रों मनुष्यों