अच्छे मित्र

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वह मित्रता अधिक आकर्षित करती है जो हमें "अच्छे दोस्त है" के मूल्यों में ना बंधते हुए केवल उन मूल्यों का बोध कराए जो सच्ची मित्रता में हम तलाशते है. यह कहना उसी तरह है, जब रात में पानी पीने का स्वपन देखने के बाद सुबह उठते ही पानी पीने की इच्छा होती है. उस वक्त रात के स्वपन में उठी प्यास वर्तमान में पानी का बोध कराती है. यह मित्रता मुझे कभी उन मूल्यों में नहीं बांधती जो एक समय बाद मूल्यों के धागे टूटने पर धीरे-धीरे उसमें पीड़ा शामिल होने लगती है.भीतर छुपी पीड़ा के बाहर निकलने पर