जय श्रीकृष्ण बंधुजन!आज फिर श्रीगीताजी के कृपा से श्रीगीताजी के छठे अध्याय और उसके महात्म्य के साथ आपके प्यार के अभिलाषा के लिए उपस्थित हु। भगवान श्रीकृष्ण जी आप सभी बांधो के सभी मनोरथो को पूर्ण कर तथा आप सभी भी श्री गीता जी के इस अद्यस्य के अमृतमय शब्दो को पढ़कर अपने जीवन को सफल बनायें।जय श्रीकृष्ण!~~~~~~~~~~~~~~ॐ~~~~~~~~~~~~~ श्रीमद्भगतगीता अध्याय-६श्री भगवान् जी बोले- हे अर्जुन! जिस की कर्मफल में आसक्ति नहीं और कर्मों को करता है वही सन्यासी और योगी है और जिसने हवनादिक लौकिक कर्म छोड़ दिए हैं वह योगी है। है