वक्त की व्याख्या

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वक्त की व्याख्या "गंगू तुम गरीबी में भी अपनी ईमानदारी, तराजू पर रखता है और ये बहुत बड़ी बात है आज के समय में ।" सोसायटी में रहने वाले हेगड़े साहब ने जब ये कहा, तो गंगू बोल पड़ा-"बाबू साहिब थोड़ा कमाओ या जियादा सब कुछ यहीं छोड़के जाने पड़ता है ऊपर । उसने हाथ आसमान की ओर ताना और फिर अपनी छाती पर टिका लिया ।"साहिब देखो न ! इन दिनों कितनों की दुकानें बखत ने जबरिया बन्द करवा दीं हैं ।" कहते हुए गंगू अपने बीते वक्त की बातें चाव से बताने लगा । उसने बताया कि जब वो