महामाया - 14

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – चौदह यज्ञ मंडप के सामने वाले मैदान में समाधि के लिये गड्डा खोदे जाने का काम तेजी से चल रहा था। गड्डे से थोड़ी दूरी पर चारों ओर बेरीकेट्स लगाये जा चुके थे ताकि भीड़ सीधे गड्डे तक नहीं पहुँच सके। धीरे-धीरे समाधि स्थल देखने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। लोग बेरिकेट्स के बाहर खडे़ होकर कोतूहल से गड्डे को देख आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे। ‘‘इस गड्डे में तीन दिन, बिना कुछ खाये-पिये, बिना साँस लिये कोई जिंदा कैसे रह सकता है?’’ प्रश्न एक ही था लेकिन उत्तर को लेकर लोगों के