एक बूँद इश्क - 4

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एक बूँद इश्क (4) गणेश ने अपनी साँसों को रोक लिया और बस एकटक उसे ही देखे जा रहा है। उसे समझ नही आ रहा कि वह इस वक्त क्या करे? ये मेमशाव शाधारण औरत नही लगतीं, जरूर कोई बड़ी बात है। लेकिन अब हम कैशे पता करें? हे जागेश्वर बाबा! आप ही कोई राश्ता निकालो।" "आइये मेमशाव वहाँ कोई नही है" गणेश ने हौले से कहा है। नदी की कल-कल की आवाज़ आनी शुरु हो गयी है। उसकी भीगी हवा की फुहार तन-मन सब-का-सब भिगो रही है। गणेश की पुकार जागेश्वर बाबा ने सुन ली है और रीमा पत्थर