यहां सबकी सोच नंगी है

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बाज़ार सजा हुआ है. साथ में खड़ी लीला, चंपा, जूली, रेखा, हेमा, ऐश, माधूरी एक-एक कर ग्राहक को लुभा कर ले जा रही हैं. सबको पता है कि यहां आए मर्दों का नाड़ा कैसे ढीला करना है. सस्ते पाऊडर और पांच मिनट में गोरा करने वाली क्रीम का सही उपयोग इसी बाज़ार में दिखता है. ‘कस्टमर’ भी छुपते-छुपाते बाज़ार की दहलीज़ तक आते हैं और बाज़ार में ऐसे घुसते हैं, जैसे किसी कैद से निकल कर आए हों.फुलिया बाई के कोठे की मीना का चेहरा जैसे इस झूठे बाज़ार में इकलौता सच्चा चेहरा हो जिसका मन भी उदास है और