आधा आदमी - 7

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आधा आदमी अध्‍याय-7 ‘‘अरी नंगी जय्यहें तो जादा भीड़ लगयहे, हिजड़ों को नंगी देखने की तमन्ना सबकी छाती में करवट लेती हय। चलो-चलो निकलो री बच्चा जब बुढ़ा होई जइयहें तब पहुँचोगी का?‘‘ वे सब सलाम करती हुई चली गई। बिजली जनानी रिक्शे से आयी। वह तहमत और जॉकेट पहने थी। उसके साथ पाँच साल की लड़की थी। ड्राइवर ने शोभा से कुर्सी लाने को कहा। मगर वह हाथ धोने में मस्त थी। जबकि ड्राइवर बार-बार उससे कुर्सी लाने को कह रहा था। बिजली बैसाखी के सहारे खड़ी तो थी। मगर नशे में धुत थी। उसकी तिरछी निगाहें शोभा पर