सीता: एक नारी - 1

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सीता: एक नारी ॥ प्रथम सर्ग ॥ गाथा पुरानी है बहुत, सब लोग इसको जानते वाल्मीकि ऋषि की लेखनी के तेज को सब मानते है विदित सबको राम सिय का चरित-रामायण कथा वर्णित हुआ मद, मोह, ईर्ष्या, त्याग, तप, दारुण व्यथा अनुपम कथा यह राम के तप, त्याग औ' आदर्श की उनके अलौकिक शौर्य, कोशल राज्य के उत्कर्ष की पर साथ में ही है कथा यह पुरुष के वर्चस्व की नर-बल-अनल में नारि के स्वाहा हुए सर्वस्व की लंका विजय के बाद कोशल का ग्रहण आसन किया श्रीराम ने तब राज्य को लोकाभिमुख शासन दिया उद्देश्य में था निहित मानव मात्र का केवल भला नूतन व्यवस्था ने मगर था राज-रानी को छला बदली व्यवस्था राज्य की,