फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 9

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यह कहकर सब एक दूसरे के गले मिलने लगे आफताब बहुत खुश था जैसे उसको अभी से जन्नत नसीब हो गई हो तभी आफताब का फोन बजा फोन उठाया तो उसकी छोटी बहन का था जब उसको पता चला आफताब जलसे में गया हुआ है तो वह बहुत नाराज हुई और बोली, “क्या भाई जान तुम्हें जरा भी इल्म् है कि तुमने यह क्या किया? अरे तुमने मौत को अपने मुंह से लगा लिया या अल्लाह मेरे नासमझ भाई की गलती माफ करना, यह बीमारी धर्म जात या अमीर गरीब नहीं देखती, यह तो किसी को भी हो सकती है,