किर_दार

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एक ही व्यक्ति के दो किरदारों को मानना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है, यूं कहूँ तो उसके दो किरदार मै मानता ही नही । पहले किरदार मे वह लोगों मे फुट डालने की बात करता है, लोगों मे नफरत फैलाने का काम करता है । उसके एक जिंदगी/किरदार की लोग बात करना ही नही चाहते (डरते है,उसके बारे मे बात ही नही करना चाहते) और उसकी दुसरी जिंदगी को जो भी उसने इनके नजर मे अच्छे काम किए हो या समाज मे विज्ञान को फैलाने मे मदत की हो ( यह भी उनके नजर मे) उसी नजरिये को लेकर फुले नही