भदूकड़ा - 42

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"तुम्हारी तबियत तो ठीक है न जानकी?" सुमित्रा जी ने असली मुद्दे पर आने की कोशिश की। "हओ छोटी अम्मा। हमाई तबियत खों का हौने? ठीकई है।" "किशोर बता रहे थे कि पिछले दिनों तुम्हारी तबियत भी बिगड़ गयी थी....." ज़रा संकोच से ही पूछा सुमित्रा जी ने। "छोटी अम्मा, का जाने हमें अचानक का हो जात... लगत है जैसें कौनऊ सवार हो गओ होय मूड़ पे। लगत खूब ज़ोर सें चिल्ल्याय, जौन कछु दिखाए, ओई सें फेंक कें मारें। दांत सोई किटकिटात।" जानकी फिर रुआंसी हो आई थी। सुमित्रा जी को लगा हो सकता है परिस्थितियों के चलते जानकी