महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – ग्यारह प्रवचन हॉल में एक प्रौढ़ वय का व्यक्ति गेरूआ चैगा पहने पाँच-सात भक्तों से घिरा बैठा था। पीछे की तरफ एक व्यक्ति लोगों को बता रहा था ‘यह अंजन स्वामी है।’ आप लोग इन्हें बाबाजी की जमात का मामूली साधु मत समझ लेना। इन्हें हनुमान जी का इष्ट है। इन अंजन स्वामी जी का स्थान कहाँ है ? दूसरे ने प्रश्न किया। ‘‘ये तो हमें नहीं पता, हिम इतना जानते हैं कि ये बहुत बड़े तांत्रिक हैं। अंदर की बात तो ये है कि खुद बाबाजी ने तंत्र विद्या अंजन स्वामी से सीखी है।