जो घर फूंके अपना - 34 - लौट के बुद्धू घर को आये -दिल्ली में दिलवाली की तलाश

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जो घर फूंके अपना 34 लौट के बुद्धू घर को आये -दिल्ली में दिलवाली की तलाश मैं उस शायर से पूरी तरह सहमत हूँ जिसका ख्याल है कि “हरेक रंज में राहत है आदमी के लिए. ” रूस में बाकी के बिताये हुए दिनों में कपूर ने मुकर्जी की जूती उसी के सर लगाई अर्थात उससे पैसे उधार लेकर स्वान लेक बैले उसी के साथ देखा. गुप्ता ने अपनी मंगेतर के लिये लोंजरी और ‘निज्न्येये वेलेये’ के साथ अन्य बहुत कुछ खरीदा. बिस्वास साहेब ने ‘देत्स्कीय मीर’ से बच्चों के लिए बहुत से कपडे और खिलौने लिए और मैंने माँ-पिताजी