दोस्ती के संग मेहनत लाये रंग

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करीब करीब दस बजे के आसपास में धनबाद स्टेषन पहुँचा। दो ट्रोली बैग को खीचते हुए मैं स्टेषन के बहार निकला । “कहां चलियेगा भैया, गाड़ी लगेगा क्या ? AC कार है बोलिये कहां चलना है। “ पास आकर एक कार डार्इवर ने कहा। आंखो से गोगल्स उतारते हुये मैंने कहा “ भैया आर्इ एस एम चलोगें।” “ हां चलेगे ना, लाइये सामान आप मुझे दे दिजिए।” “ कितना लोगे ? “ हैडफोन को कान से उतार कर गले पर रखते हुये कहा। “ वैसे 300 रूपये भाड़ा है। आप 250 दे दिजिएगा और क्या ?” “ भैया