घूँघट

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आरुषि ने घूँघट उठाकर ससुराल में जब अपने स्वागत के लिए की गई तैयारियों को देखने की कोशिश की, तो दादी सास ने बहू की तरफ भौहें चढ़ाकर घूँघट नीचे करने का इशारा किया। आरुषि ने भी बेमन से दादी सास का आदेश स्वीकार किया। क्योंकि आरुषि का पालन पोषण एक शहर में हुआ था। इसीलिए उसे गांव के रीति-रिवाजों के समझने में असहजता महसूस हो रही थी। साथ ही साथ आरुषि आधुनिक युग में पर्दा प्रथा जैसे रूढ़िवादी रीति-रिवाजों को देख कर अचंभित भी थी। शादी के कुछ दिन बीत जाने के बाद जब आरुषि सभी परिवार वालों के साथ