महामाया - 8

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – आठ अनुराधा ने निर्मला माई के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए थोड़े ऊँचे स्वर में कहा। ‘‘माई हम है अनुराधा’’ ‘‘अन्दर आ जाईये, अनुराधा जी’’ अनुराधा ने दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश किया और निर्मला माई के पास आकर बैठ गई। निर्मला माई वार्डरोब के सामने पालथी मारे बैठी थी। उनके सामने ज्वलेरी बाॅक्स और कीमती घड़ियों के डिब्बे खुले पड़े थे। ‘‘अनुराधा जी देखिये तो, इतनी गिफ्ट इकट्ठी हो जाती है कि इन्हें कहाँ रखें समझ में नहीं आता। सब सामान इस अलमारी में ही ठूंसना पड़ता है । हमारे कपड़ों की प्रेस भी