तीसरी रात - 4 - अंतिम भाग

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तीसरी रात महेश शर्मा तीसरा दिन, सुबह : 7 बजे उसने दरवाजा खोला। सामने मेड खड़ी थी। वह किचन में जाकर अपने लिए चाय बनाने लगा। उसने फैसला कर लिया था कि वह मेड की तरफ देखेगा भी नहीं। पता नहीं क्यों उसे ऐसा करने में डर लग रहा था। मेड कमरे में सफाई कर रही थी। उसे अचानक ख्याल आया कि क्यों न वह छिप कर मेड को सफाई करते हुये देखे। यह देखे कि क्या वह उस भारी अलमारी को हिला पाती है या नहीं? और क्या उस अलमारी के यूँ हिलाए जाने पर वैसी ही आवाज़ पैदा