अदालत की दहलीज़ और वो मासूम वकीलमेरे प्रिय पाठकों!हो सकता है कहानी के शीर्षक से आपको ये लगे कि कोई वकील मासूम कैसे हो सकता है।ये कैसे संभव है।लेकिन हाँ!वकील भी शुरुआत में हम आप जैसे मासूम और कोमल हृदय ही होते हैं किंतु किस प्रकार अदालती माहौल औऱ व्यवस्थाएं उन्हें मासूम से मजबूत बनाती हैं,ये आप मेरी इस कहानी से अवश्य जान पाएंगे,ऐसी मेरी उम्मीद है। आज वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अदालत का उसका पहला दिन था।वकालती बैकग्राउंड ना होने के कारण किसी वकील के चैम्बर से जुड़ने में बड़ी मुश्किलें आ रही थीं लेकिन आज पापा