तीसरी रात - 3

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तीसरी रात महेश शर्मा दूसरा दिन, दोपहर : 2 बजे खाना खाने के बाद पत्नी को पत्नी को बस स्टैंड से छोड़ कर वह घर लौटा। थोड़ा थका-थका सा महसूस कर रहा था। वह कपड़े बदल कर बिस्तर में लेट गया। थोड़ी देर सोने का मन था। उसने सिरहाने रखी किताब उठाई और पढ़ने लगा। वाकई दो-तीन पन्ने पढ़ते-पढ़ते उसकी आँखें बोझिल होने लगी। उसने किताब एक तरफ रख कर आँखें मूँद ली। ठीक उसी वक्त उसकी नज़र सामने दीवार पड़ी। वहाँ एक छिपकली थी। पहले तो उसके शरीर में झुरझुरी सी छूट गई। नींद उड़ चुकी थी। वह आँखें