तीसरी रात - 2

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तीसरी रात महेश शर्मा पहला दिन, शाम : 6 बजे पार्क में वह रोजाना की तरह टहल चुकने के बाद वह अपने पड़ौसी के साथ, बेंच पर बैठा हुआ गप्पे मार रहा था। पड़ौसी उससे एक अजीब सी बात पूछी – -“आपको रात को नींद आसानी से आ जाती है?” -“हाँ! आ ही जाती है – ” वह थोड़ा मुस्कुराया – “लेकिन इधर मुझे देर रात तक जाग कर फिल्में देखने की लत लग गई है। उस वजह से नींद आने में थोड़ी दिक्कत होती है।” -“हाँ यह बात तो है – ” पडोसी बोला – “लेकिन मेरे साथ दूसरी