जो घर फूंके अपना 30 हाय री किस्मत ! बिल्ली के भाग्य से आखीर एक दिन छींका टूटा. पिछली रात को होटल के सबसे अच्छे रेस्तरा में हम पाँचों की रूसी फौजी अफसरों के एक बहुत भारत- प्रेमी ग्रुप से दोस्ती हो गयी थी. राजकपूर की फिल्मों के हिन्दी गाने और उस ज़माने के अतिलोकप्रिय रूसी गीत “रास्विताली याव्ली ना इक्रुश्की,पाप्लिली कमानी नाद रिकोई ------“ जो हम लोग भी सुनते सुनते सीख गए थे एक के बाद एक गाते हुए हम लोग ‘इंदो रूस्कीय द्रूज्बा’ अर्थात भारत रूस मैत्री के नाम जाने कितने शैम्पेन और वोदका के जाम पीते रहे.