वसुंधरा गाँव - 3

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अगली सुबह इन्द्र अपने घर पर लेटा हुआ था, वो अपने साथ घट रही अजीब घटनाओं के चलते इतना परेशान था कि लाख कोशिश पर भी उसको नींद नही आ रही थी, वो बेचैनी से रात भर करवटें बदलता रहा, और जब भी उसकी आंख लगती तो किसी भयंकर स्वप्न के कारण वो जाग जाता।इसी प्रकार की पीड़ा को भोगते भोगते कब सुबह हो गई, इन्द्र को पता ही नही चला, वो अपनी लाल सुर्ख आँखो से अपनी छत को घूरते हुए किनी खयालों में खोया होता है, तभी उसके फ़ोन की तेज़ बेल बजने लगी, और उसके शरीर मे