महामाया - 4

  • 7.1k
  • 3.5k

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – चार भोजनशाला में अखिल की अनुराधा से मुलाकात हुई। दोनों बहुत देर तक भोजनशाला में ही खड़े-खड़े बतियाते रहे। सामान्य परिचय से शुरू हुई बातचीत व्यक्तिगत रुचियों और अनुभवों तक पहुंच गयी। ‘‘आप यहाँ कब से आ रही हैं’’ ‘‘पाँच-छः साल से’’ ‘‘आपकी बाबाजी से मुलाकात कैसे हुई?’’ ‘‘मेरी बाबाजी से मुलाकात.......यह एक लम्बी कहानी है। चलो कहीं बैठकर बात करते हैं।’’ अखिल और अनुराधा भोजनशाला के पास ही आम के पेड़ के नीचे एक बैंच पर बैठ गये। अनुराधा ने बातचीत शुरू की। ‘‘हाँ तो आप पूछ रहे थे कि मेरी बाबाजी से मुलाकात