कई साल पहले की बात है, जब मैं ,.मेरा भाई अपने माता-पिता के साथ एक खूबसूरत से नगर -पालमपुर में रहते थे। यही तीन - चार साल पहले हमने वह नगर छोड़ दिया था। बात उन दिनों की है जब पालमपुर में बहुत ठंड थी। हम बहुत खुश थे। पिताजी और मेरी मां दोनों मिलकर गुजारे जितना कमा लेते थे। मेरा मेरे भाई के साथ रिश्ता बहुत गहरा था। मेरा भाई जैसे मेरे लिए सब कुछ था। उस पर इतना विश्वास और प्यार था किकिसी शिकवे की कोई गुंजाइश ही नहीं रह जाती थी। भाई मेरे से दो ढाई