लॉक डाउन के पन्ने - प्रकृति कुछ कहती है :

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"ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा" और निश्चित रूप से ये समय भी जीवन में दुबारा नहीं आएगा।अधिकांश लोगों का मानना है कि ये मानव निर्मित अभिशाप है, कुछ का कहना है प्रकृति का कोप है, कोई ईश्वरीय कोप कहता है, हरेक का अपना मत है, मतभिन्नता मानवीय स्वभाव है। मेरा दृष्टिकोण है कि प्रकृति शायद हमेशा से ही कुछ कहना चाहती थी, जुड़ना चाहती थी पर हमारे पास ही समय नहीं था उस से बात करने का उसकी सुनने का।आज रात देखिएगा खुले आसमान को, बात कीजियेगा चँदा मामा से, बरसो हो गए आपको उनसे बात किये वो बचपन आपने भूला