चुन्नी - अध्याय दो

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चुन्नी अपने नाम के हिसाब से ही है।बिल्कुल वैसा ही जैसा उसका नाम है।बचपन से ही भोला और नादान।लोग उसके भोलेपन का फायदा उठा लेते है। बचपन से चुन्नी को पढ़ने का बड़ा शौक था।उसे क्या पता था यही शौक उसे एक दिन कही और ले जायेगा। पढ़ने के इसी लत मे वो अजीबो गरीब कारनामे करता था। किताब लेकर कभी बिस्तर के नीचे,कभी संदूक के पीछे, कभी छत पर, कभी खेतो मे बैठ कर।पूरा परिवार उसके इस आदत से परेशान रहते थे। वो घंटो घंटो गायब रहता था। इस नशे मे उसने घर के सारे किताब पढ़ डाले। फिर जब