भदूकड़ा - 36

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सिर झुकाये, सारी बातें सुनती, समझती जानकी ने बस एक बात कही-“ बे बड़ीं हैं सो ऐन डांट सकतीं. काम सिखा सकतीं, सब कर सकतीं, बस हमाय ऊपर या हमाय मां-बाप के ऊपर कौनऊ गलत इल्ज़ाम लगाओ, तौ हम बर्दाश्त न कर हैं. काय सें इतै हम अपने मां-बाप की बेइज्जती करबावे नईं आय. उनै जो कछु काने, हमसें कंयं. बस हमई तक रक्खें अपनौ गुस्सा.”अगले दिन सत्यनारायाण की कथा और सुहागिलें थीं. इस कार्यक्रम के सम्पन्न होने के ठीक अगले ही दिन, कुन्ती जानकी के कमरे में धड़धड़ाती घुसी- “काय बैन तुम अबै लौ इतै नई दुल्हन बनीं बैठीं? उतै