‘‘न जाने क्यों इतना दिल पसीज जाता है तुम्हारा? ऐसे ही चलता रहा तो मदद मांगनेवालों की लाइन लग जाएगी हमारे यहां. हर किसी की समस्या सुलझाने बैठ जाते हो,’’ झल्लाते हुए किरण ने कहा.हमेशा की तरह डॉक्टर तिवारी मुस्कुराते रहे. वे जानते हैं, चाहे कितनी खरी खोटी सुना ले, पर उनकी पत्नी किरण काम उनकी इच्छा के अनुसार ही करती है. फिर भला जब वे ही उनका काम बढ़ाते हैं तो डांट सुनने में बुराई ही क्या है?उन्हें मुस्कुराते देख पारा चढ़ गया किरण का,‘‘ये मोहिनी मुस्कान न बिखेरो. मैं कहे देती हूं, कुछ और होता तो सुन भी