चंपा पहाड़न - 8 - अंतिम भाग

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चंपा पहाड़न 8. चंपा अब लगभग पैंतालीस वर्ष की होने को आई थी, उसका यज्ञादि का नित्य कर्म वैसे ही चलता लेकिन गुड्डी के विवाह के पश्चात वह फिर से बंद कोठरी के एकाकीपन से जूझने लगी थी| हाँ ! माया का साथ हर प्रकार से उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था | उन दिनों फ़ोन आदि की अधिक सुविधा न होने के कारण चिट्ठियाँ लिखी जातीं | माँ के ममतापूर्ण स्नेहमय शब्दों में चंपा माँ की लोरियों की गूँज सुनाई देती, चंपा हर चिट्ठी में उसे अपना प्यार-दुलार अवश्य प्रेषित करती | गुड्डी के पति एक बड़े सरकारी संस्थान में कार्यरत थे |कुछ वर्षों के पश्चात उनका दिल्ली से बंबई तबादला हो गया और स्थानीय दूरियाँ और बढ़ गईं | उनको बंबई में निवास के साथ