थप्पड़

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सुबह के साढ़े आठ बजे थे, राकेश का कहीं अता पता नहीं था| सुबह सात बजे शिप्रा ढाई महीने की बेटी पीकू को तैयार कर मंदिर जाने के लिए घर के आंगन में खड़े स्कूटर तक पहुंची ही थी कि राकेश ने कहा ,"बस अभी आया" और स्कूटर स्टार्ट कर कहीं निकल गया | शिप्रा "अरे पीकू भूखी है सुनो तो !" कहती ही रह गयी लेकिन राकेश तो यह जा और वह जा|"आधा घंटे बाद पीकू ने भूख से अपने होंठ चाटना और कुनमुनाना शुरू कर दिया और कुछ मिनट बाद रोना| शिप्रा कभी बाँहों में झूला कर, कभी