"अरे मोहन बेटा, यह क्या कर रहे हो?"प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा अपने पाँच साल के बेटे को देखकर थोड़ा गुस्से के साथ पूछ बैठे,दरअसल उनका पाँच साल का बेटा मोहन एक कुत्ता को कुछ रोटियां दे रहा था, और प्रोफेसर डॉ०विनय विनय शर्मा जब कॉलेज जाने के क्रम में गाड़ी के पास पहुंचे तो उन्होंने यह कार्य करते हुए देखा "कुछ नहीं पिताजी,इसे भूख लगी थी, इसलिए घर से रोटियां लाकर डाल दिया हूँ"मोहन रोटियां कुत्ता को देकरअपने पिताजी से बोला"लेकिन बेटा, यह तो जानवर है और कही ना कहीं तो अपनी भुख मिटा ही लेगा"प्रोफेसर डॉ०विनय शर्मा अपने